भारत में औद्योगिक विकास
भारत
में औद्योगिक विकास के कालखंड को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है -
○ स्वतंत्रता पूर्व भारत में औद्योगिक विकास
○ स्वतंत्रता पूर्व भारत में औद्योगिक विकास
भारत में औद्योगिक विकास की शुरुआत सन 1853 में चार कोल पर आधारित प्रथम लौह प्रगलन संयंत्र से हुई. (असफल)
1854 में प्रथम सफल प्रयास के रूप में 'कावसजी नानाभाई डाबर' द्वारा मुंबई में सूती मिल की स्थापना की गई .
1855 में कोलकाता के पास रिशरा में जूट मिल की स्थापना.
○ स्वतंत्रता पश्चात भारत में औद्योगिक विकास
• स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात तत्कालीन केंद्रीय उद्योग मंत्री डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा 6 अप्रैल 1948 को देश की प्रथम औद्योगिक नीति की घोषणा की गई.
• सार्वजनिक
एवं निजी क्षेत्र के रूप में देश के उद्योगों का बंटवारा.
• 30 अप्रैल 1956 को देश में दूसरी औद्योगिक नीति की घोषणा की गई.
उद्योगों को निजी सार्वजनिक तथा संयुक्त क्षेत्र में विभाजित किया गया तथा अवशिष्ट उद्योगों को निजी उद्यम के लिए खुला छोड़ दिया गया.
उद्योगों को निजी सार्वजनिक तथा संयुक्त क्षेत्र में विभाजित किया गया तथा अवशिष्ट उद्योगों को निजी उद्यम के लिए खुला छोड़ दिया गया.
→ औद्योगिक विकास की धीमी गति, अधिक बेरोजगारी, औद्योगिक रुग्णता, महंगाई
तथा विदेशी मुद्रा विनिमय के संकट से निजात पाने के उद्देश्य से ही भारत सरकार
द्वारा 24 जुलाई 1991 को औद्योगिक क्षेत्र में उदारीकरण निजीकरण और
वैश्वीकरण(Liberalisation,
Privatisation and Globalisation - LPG) की नीति की घोषणा की गई जिसके द्वारा उद्योगों की स्थापना में लाइसेंसिंग
प्रक्रिया को सरल बनाया गया.
धात्विक उद्योग
विभिन्न धात्विक खनिजों को आधार बनाकर स्थापित किए गए उद्योगों को धात्विक उद्योग की संज्ञा दी जाती है, जैसे- लौह-इस्पात उद्योग, एल्युमीनियम उद्योग, तांबा उद्योग आदिलौह-इस्पात उद्योग
इस उद्योग में प्रमुख कच्चे माल के रूप में लौह अयस्क, कोकिंग कोयला, चूना पत्थर, मैंग्नीज आदि का प्रयोग किया जाता है ।लौहा इस्पात कारखानों की अवस्थिति:
कोयला क्षेत्र के समीप
बर्नपुर - हीरापुर - कुल्टी
दुर्गापुर
बोकारो
लौह अयस्क क्षेत्र के समीप
भिलाई
भद्रावती
राउरकेला
विजयनगर
सेलम
कोयला व लौह अयस्क के मध्य अवस्थित
जमशेदपुर
तटीय क्षेत्रों में अवस्थित
विशाखापट्टनम
गोपालपुर
भारत में लौह इस्पात उद्योग का विकास क्रम
भारत में लौह इस्पात उद्योगों की शुरुआत 1874ई. से होती है,पश्चिम बंगाल के कुल्टी में 'बंगाल आयरन वर्क्स' की स्थापना के साथ.
टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (TISCO)
स्थापना - 1907
स्थान - जमशेदपुर (साकची), झारखंड राज्य में.
स्वर्ण रेखा और खरकई नदी के संगम पर.
इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी (IISCO)
स्थापना - 1918
स्थान - बर्नपुर (पश्चिम बंगाल)
दामोदर नदी के किनारे .
विश्वेश्वरैया आयरन एंड स्टील लिमिटेड (VISL)
स्थापना - 1923
स्थान - शिमोगा (कर्नाटक)
भद्रा नदी के तट पर.
सार्वजनिक क्षेत्र का पहला कारखाना.
हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड (HSL), भिलाई
सन् 1955 में पूर्व सोवियत संघ और भारत सरकार के बीच में स्टील प्लांट की स्थापना के लिए समझौता.
स्थान - भिलाई (छत्तीसगढ़)
1959 से उत्पादन प्रारंभ.
हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड (HSL), राउरकेला
स्थापना - 1959
स्थान - राउरकेला (ओडिशा)
शंख व कोइल नदियों के संगम पर.
जर्मनी के सहयोग से
हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड (HSL), दुर्गापुर
स्थापना - 1959
स्थान - दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल)
ब्रिटेन के सहयोग से.
बोकारो स्टील प्लांट
स्थापना - 1964
बोकारो (झारखंड)
दामोदर नदी के तट पर.
पूर्व सोवियत संघ के सहयोग से.
विशाखापत्तनम इस्पात संयंत्र
भारत और सोवियत संघ के बीच वर्ष 1979 में समझौता, वर्ष 1982 में स्वीकृति.
विशाखापत्तनम बंदरगाह के पास (आंध्र प्रदेश).
भारत का पहला समुद्र तटीय इस्पात कारखाना.
सेलम इस्पात संयंत्र
सेलम लौह अयस्क उत्पादन क्षेत्र (शेवराय पहाडी), तमिल नाडु.
यह संयंत्र 1982 से कार्यशील है. यहाँ 'स्टेनलेस स्टील' का निर्माण किया जाता है।
विजयनगर स्टील संयंत्र
बेल्लारी जिले के होस्पेट क्षेत्र में, कर्नाटक
तुंगभद्रा जलाशय के समीप.
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